"The mark of our ignorance is the depth of our belief in injustice and tragedy. What the caterpillar calls the end of the world, the master calls a butterfly!"
Monday, November 10, 2008
The Victorious Soul
"I am Indra radiant like the sun;
I am invincible, never to be conquered by adversities.
No one can ever wrest my wisdom from me,
Never at any time can even death defeat me.
No one can compel me to withdraw
from the path of truth & justice."
-RigVeda
Saturday, May 24, 2008
Jeene ke liye bas ek kami ki talash kar
Sab kuch hai yahi, kahi aur na talash kar
Har aarzu puri ho to jeene ka kya mazza
Jeene ke liye bas ek kami ki talash kar
Friday, March 28, 2008
One of my favourits...
मैं कब कहता हूं जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,
मैं कब कहता हूं जीवन-मरू नंदन-कानन का फूल बने ?
कांटा कठोर है, तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,
मैं कब कहता हूं वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने ?
मैं कब कहता हूं मुझे युद्ध में कहीं न तीखी चोट मिले ?
मैं कब कहता हूं प्यार करूं तो मुझे प्राप्ति की ओट मिले ?
मैं कब कहता हूं विजय करूं मेरा ऊंचा प्रासाद बने ?
या पात्र जगत की श्रद्धा की मेरी धुंधली-सी याद बने ?
पथ मेरा रहे प्रशस्त सदा क्यों विकल करे यह चाह मुझे ?
नेतृत्व न मेरा छिन जावे क्यों इसकी हो परवाह मुझे ?
मैं प्रस्तुत हूं चाहे मिट्टी जनपद की धूल बने-
फिर उस धूली का कण-कण भी मेरा गति-रोधक शूल बने !
अपने जीवन का रस देकर जिसको यत्नों से पाला है-
क्या वह केवल अवसाद-मलिन झरते आँसू की माला है ?
वे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव-रस का कटु प्याला है-
वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन कारी हाला है
मैंने विदग्ध हो जान लिया, अन्तिम रहस्य पहचान लिया-
मैंने आहुति बन कर देखा यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है !
मैं कहता हूं, मैं बढ़ता हूं, मैं नभ की चोटी चढ़ता हूं
कुचला जाकर भी धूली-सा आंधी सा और उमड़ता हूं
इस निर्मम रण में पग-पग का रुकना ही मेरा वार बने !
भव सारा तुझको है स्वाहा सब कुछ तप कर अंगार बने-
तेरी पुकार सा दुर्निवार मेरा यह नीरव प्यार बने
"अज्ञेय"
Sunday, January 27, 2008
The lost microcosm
A ruined star is dying
Little by little...
Still shimmers is its hope
To find its smashed body—
And reenact
The lost microcosm....
Sunday, January 6, 2008
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